हम एक ऐसे ग्रह पर रहते हैं जिस पर 70 प्रतिशत भाग जल है और विभिन्न प्रकार के समुद्री जीव जंतु पाए जाते हैं । विशाल गहरे समुद्र के 95.8% भाग आज भी मनुष्य के लिए रहस्य हैं । इसी गहन समुद्र के अन्वेषण के लिए डीप ओशन मिशन की शुरुआत की गई । यह मिशन गहरे समुद्र के स्थितियों जीवन अनुकूल अनु जैविक संघटको का अध्ययन करेगा , जो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति पर प्रकाश डालने का प्रयास करेगा ।
यह अध्ययन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है ।
किया जा रहा जैविक दूषण तथा जीवन की उत्पत्ति संबंधी अध्ययन
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि गहरे समुद्र में जैविक दूषण तथा जीवन की उत्पत्ति संबंधी अध्ययन के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु 58.77 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं । जैविक दूषण; सूक्ष्मजीवों, पौधों, शैवाल, या सूक्ष्मजीवों के जमाव को कहते हैं । ऐसी स्थिति का एक उदाहरण जहाजों और पनडुब्बी पतवारों पर जैविक जमाव है ।
मिशन से जुड़े हैं छह प्रमुख उद्देश्य
गहरे समुद्र में खनन और मानव युक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास, महासागर जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाओं का विकास, गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज एवं संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार, गहरे समुद्र में सर्वेक्षण व अन्वेषण, समुद्र से ऊर्जा एवं ताजा पानी प्राप्त करना, और समुद्री जीव-विज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन विकास है ।
खनिज और जलवायु से जुड़े परिवर्तनों का अध्ययन
समुद्र की गहराई में 6000 मीटर नीचे खनिजों के होने की भी पुष्टि की गई है जिनके बारे में अभी अध्ययन किया जाना है । खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण और जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तन के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा ।
