अब जब अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान आ चुका है तो अब लोकतंत्र की कल्पना करना भी जायज़ नहीं है क्योंकि गोली वाले तालीबानी कभी भी बोली से काम नहीं चलाएंगे, तालिबान के वरिष्ठ सदस्य वहीदुल्ला हाशिमी के अनुसार, अफगानिस्तान पर तालिबान परिषद द्वारा आंदोलन के सर्वोच्च नेता, हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा के अधीन शासन किया जा सकता है।
हाशिमी ने कहा, “कोई लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी क्योंकि हमारे देश में इसका कोई आधार नहीं है। हम इस बात पर चर्चा नहीं करेंगे कि हमें अफगानिस्तान में किस प्रकार की राजनीतिक व्यवस्था लागू करनी चाहिए क्योंकि यह स्पष्ट है। यह शरिया कानून है और इसके अलावा दूसरा कुछ सोचन कल्पना करने जैसा होगा।”
तालिबान का भर्ती अभियान उस अफगान सेना तक भी पहुंचेगा, जिसके खिलाफ उन्होंने दशकों से युद्ध छेड़ा है, तालिबान अब विशेषकर पायलटों को, “अपने भाइयों, उनकी सरकार” में शामिल होने के लिए कहेगा।
