हाल के कुछ वर्षों में भारतीय रेलवे ने कई क्षेत्रों में नए कीर्तिमान बनाए हैं। फ्लाइट जैसी सुविधाओं वाली प्रीमियम ट्रेन सेवाओं से लेकर मालगाड़ियों के लिए अलग कॉरिडोर बनाने तक और एयरपोर्ट की तर्ज पर अत्याधुनिक स्टेशनों से लेकर विस्टाडोम कोच में अपने यात्रियों पर्यटन का अनुभव कराने तक, रेलवे ने कई अहम सफलताएं अर्जित की हैं। यहां तक की कोरोना काल में ऑक्सीजन सप्लाई करने तक नए-नए कीर्तिमान बनाने का रेलवे का यह क्रम लगातार जारी है।
अब भारतीय रेलवे अपनी सेवाओं को और अधिक सुगम और अत्याधुनिक बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस हेतु रेल मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 तक देशभर की ब्रॉड गेज लाइनों का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए रेल मंत्रालय 21,000 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
18,808 कि.मी. का होगा विद्युतीकरण
रेल मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रेलवे के 18 जोन में कुल 64,689 कि.मी. ब्रॉड गेज मार्ग हैं, जिनमें से 45,881 कि.मी. का विद्युतीकरण किया जा चुका है। शेष 18,808 कि.मी. का विद्युतीकरण किया जाना बाकी है। पश्चिम मध्य रेलवे और कोलकाता मेट्रो पहले से ही शत प्रतिशत विद्युतीकृत है। ऐसे में विद्युतीकरण का यह कार्य केवल 16 रेलवे जोन में ही होगा।
इसमें भी सात जोन ऐसे हैं, जहां एक हजार से साढ़े तीन हजार कि.मी. तक का विद्युतीकरण कार्य करना होगा, जबकि सात जोनों में 297 से 803 कि.मी. विद्युतीकरण का कार्य शेष है। पूर्व तट और दक्षिण पूर्व दो रेलवे जोन ऐसे हैं, जहां विद्युतीकरण कार्य क्रमश: 9 और 52 कि.मी. ही शेष है।
यहां आ सकती है चुनौती
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस मामले में सबसे अधिक 7,062 कि.मी. बड़ी लाइन उत्तर रेलवे के हिस्से में आती है। इनमें से 1,550 कि.मी. लाइन का विद्युतीकरण कार्य शेष है। इसके बाद 6,206 कुल बड़ी लाइन वाले दक्षिण मध्य रेलवे में 2,061 कि.मी. लाइन का विद्युतीकरण किया जाना है। इसी प्रकार उत्तर पश्चिम रेलवे में 5,248 कि.मी. बड़ी लाइन में से 3,062 कि.मी. का विद्युतीकरण कार्य शेष है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि रेलवे को शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे अधिक काम पूर्वोत्तर सीमा रेलवे जोन में करना होगा। यहां 4,152 कि.मी. बड़ी लाइन में से मात्र 652 कि.मी. ही विद्युतीकृत है। ऐसे में शेष 3,500 कि.मी. का विद्युतीकरण पूरा करना चुनौतीपूर्ण होगा। असल में यह लाइन कटिहार, अलीपुरद्वार, रंगिया, लुमडिंग और तिनसुकिया जैसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में आते हैं।
दूसरी चुनौती उत्तर पश्चिम रेलवे में आ सकती है। यहां कुल 5,248 कि.मी. लाइन में से 2,186 का विद्युतीकरण हो चुका है और 3,062 कि.मी. शेष है। यह क्षेत्र अजमेर, बीकानेर, जयपुर, जोधपुर में हैं। इसके अलावा दक्षिण पश्चिम रेलवे में 3,578 में से 1,208 का विद्युतीकरण कार्य हो चुका है और बेंगलुरु, हुबली और मैसूर में 2,370 कि.मी. में फैली बड़ी लाइन का विद्युतीकरण कार्य शेष है।
उल्लेखनीय है कि आज भी देशभर में सवारी और सामान को सड़क मार्ग के मुकाबले बेहद किफायती किराये और तीव्र गति से पहुंचाने वाली भारतीय रेलवे ही है। इसके आधुनिकीकरण पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रेल मंत्रालय ने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूरा किया है। अब वह देश भर के ब्रॉड गेज लाइनों का शत-प्रतिशत विद्युतीकरण करने जा रही है।
