आज अफगानिस्तान में जो हालात हैं, वो दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। दुनिया के हर देश (चीन , पाकिस्तान,और तुर्की को छोड़कर) सभी अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही ।भारत सरकार भी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और अभी तक सरकार ने वहां से अपने नागरिकों को वापस निकाल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार अधिकारियों से सम्पर्क में हैं । दुनिया भर के लोग अफगानिस्तान के नागरिकों के लिए दुआ कर रहे हैं क्योंकि जबसे तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा किया है , तबसे अफगानिस्तान नागरिक किसी भी तरह से देश छोड़कर भाग जाना चाहते हैं ।वो विमानों पर लटक कर बाहर भाग भागना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें तालिबान के क्रूर शासन में नहीं रहना है।
इसी बीच भारत में “न्यूजलॉन्ड्री”नाम की बेवसाइट ने अफगानिस्तान की स्थिति की तुलना भारत में कोरोनावायरस के दौरान घर वापस लौट रहे लोगों से कर दिया। उन्होंने अपने खबर का शीर्षक लिया है कि “अपने- अपने तालिबान ” यह लेख किसी सत्यम श्रीवास्तव नाम के पत्रकार/लेखक ने लिखा है । उन्होंने इसको फैसबुक पोस्ट पर लिखा है कि “जैसे आज अफगानी नागरिक कहीं भी भाग जाने को आतुर हैं, क्या यही स्थिति हमारे हिन्दुस्तानी नागरिकों की पूरे दो महीने नहीं रही, जो किसी भी तरह अपने घर, अपने गांव पहुंच जाना चाहते थे?”।अब इन जैसे पत्रकारों को यह नहीं पता है ,कि भारत में कोरोनावायरस के लाकडाउन के दौरान लोग अपनी जान बचाने के लिए घर पहुंचना चाहते थे और जबकि अफगानिस्तान में लोग अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़कर भाग जाना चाहते हैं। हमने जब फैसबुक कमेंट पर जाकर देखा तो पाया लोग भर भर कर इनको गालियां दे रहे हैं और भला बुरा कह रहे हैं।
इस लेख को जब हमने अच्छे से पढ़ा तो पाया इन्होंने लिखा है कि “सत्ता के हस्तांतरण के लिए उपजी हिंसा और महज एक सनकी के अहं की तुष्टि के लिए पैदा की गयी अफरा-तफरी के बीच क्या वाकई कोई भेद है? या अपने अहं की तुष्टि के लिए मौखिक आदेश से नागरिकों को राज्यविहीन, सरकारविहीन बना देने जैसी अवस्था के स्रोत क्या अलग-अलग हैं? आप कह सकते हैं- लेकिन तालिबान को तो अफगान ने चुना नहीं है? तब क्या एक चुनी हुई सरकार को लाइसेंस मिल जाता है कि वो महज एक फरमान से जनता को उसी तरह बदहवासी में सड़क को सौंप दे जैसे एक अनिर्वाचित सत्ता तालिबान ने बंदूक के ज़ोर पर अपने यहां किया है?” जिसके द्वारा इन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि तालिबान ने किसी को भागने के लिए थोड़ी कहा है जबकि मोदी सरकार ने तो रातों रात लोगों को अपने खुद के मन की तृष्टि के लिए लोगों को भागने के लिए मजबूर कर दिया था । जबकि सच बात तो यह है कि उस समय सरकार ने लोगों को रहने खाने और वापस भेजने तक की व्यवस्था किया था । सरकार ने किसी को बंदूक की डर से देश छोड़कर भाग जाने को नहीं कहा था।
